बड़े बजट की फिल्मों में स्पेशल इफेक्ट्स का शानदार इस्तेमाल देख आपकी भी आंखें चौंधियां जाती होंगी पर क्या आपको पता है कि वो दृश्य वास्तविक नहीं होते हैं।
आपको बता दें की पर्दे के पीछे का खेल कुछ और ही होता है। आप ने मूवी सेट पर ढेर सारा ग्रीन कलर देखा होगा। या सेट पर ग्रीन कलर के पर्दे दीवारों पर लगे हुए देखे होंगे।
एक्शन फिल्मो और एनिमेशन फिल्मो को बनाने के लिए ब्लू और ग्रीन कलर के पर्दे का प्रयोग किया जाता है।
पर क्या आप को पता है कि मूवी बनाते समय सेट का इतने ग्रीन और ब्लू रंग से क्यो तैयार किया जाता है अगर नहीं तो बताएँगे आपको इसी विडियो में तो विडियो को बिना स्किप किये अंत तक देखते रहिये|
शुरुआत में एक्शन फिल्म बनाने मे और एनिमेशन फिल्मो मे मौसम की जानकारी देने के दौरान अक्सर पर्दे पर ग्रीन और ब्लू कलर के पर्दे का प्रयोग किया जाता है।
इसे सीधी भाषा में कहूँ तो वीडियो प्रोडक्शन में जब कोई सीन शूट करने में महंगा हो या खतरनाक हो तो उस सीन को Shoot करने के लिए कुछ Special Effetcs का इस्तेमाल किया जाता है यह Effects वीडियो बनाने के साथ में किया जा सकता है या वीडियो एडिट करते समय किया जा सकता है तो इन सभी इफेक्ट्स को ही VFX यानि विजुअल इफेक्ट्स कहते है|
तो अगर आप कोई एसी मूवी देख रहे हो जिसमें कोई ऐसा सीन है जो आपको लगता है कि यह असल में संभव नहीं है तो समझ जाइए कि वह विजुअल इफेक्ट्स की मदद से किया गया है
{एवेंजर मूवी scene फोटो}
अब आपको स्क्रीन पर एक फोटो दिखाई दे रही है जिसमें आप देख सकते हैं कि फोटो में जो बैकग्राउंड है वह बिल्कुल अलग हो गया है जो कि विजुअल इफेक्ट्स की मदद से किया गया है
पर अगर आप इसे राकेट साइंस समझ रहे है तो आपको बता दें की यह कोई रॉकेट साइंस नही है कि क्योंकि किसी वीडियो को शूट करने के दौरान विजुअल एडिटिंग की जाती है।
विडियो एडिटिंग में क्रोमा की के अन्दर अन्य रंग का भी प्रयोग किया जा सकता है पर जरुरी यह है की केवल गहरे रंग का ही इस्तेमाल ही हो ताकि एडिटिंग में कोई दिक्कत न हो इसलिए सभी जगह हरे और नीले रंग का ही प्रयोग किया जाता है।
पर अभी आपके विडियो में एक शब्द सुना क्रोमा की| और आप सोच रहे होंगे क्रोमा की क्या होती है तो आपको बता दूँ की
क्रोमा की एक विजुअल इफेक्ट टेक्नीक होती है जिसे पोस्ट प्रोडेक्शन के दौरान सुपर इंपोज पिक्चर और वीडियो मे प्रयोग की जाती है।
वैसे कुछ लोग क्रोमा की को, कलर की के नाम से भी जानते है। यह एक सिलेक्टेड कलर रेंज मे फिल्म को शूट करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
इसका सीधा सा उदाहरण अगर आपको दिया जाये तो जब टीवी पर मौसम की जानकारी दी जाती है तो एंकर मौसम के मैप के साथ खड़ा होता है जो इस तकनीक से संभव है।
अब जानते है क्रोमा का यूज़ करने के लिए ग्रीन यानि हरे रंग का इस्तेमाल क्यूँ होता है?
दरअसल हरा रंग किसी भी अन्य रंग की अपेक्षा में रौशनी को अपने मे समाहित करने की कई गुना ज्यादा क्षमता रखता है। ह्यूमन बॉडी मे हरा रंग नही होता है इसलिए बैकग्राउंड मे हरे रंग का प्रयोग पिक्चर को बेहतर क्वालिटी प्रदान करता है।
और RGB के अनुसार यह बहुत ही ब्राइट कलर होता है।
अन्य रंग, जैसे कि भूरा, पीला, नारंगी और लाल, विभिन्न रंगों में चारों ओर यहां तक कि लोगों की त्वचा और बालों में भी पाए जा सकते हैं। और इसी कारण जब स्क्रीन को इफ़ेक्ट देने का समय आता है, तो वे रंग काम को दस गुना कठिन बना देते हैं।
हरे रंग की स्क्रीन आमतौर पर सिंथेटिक स्ट्रेचेबल नायलॉन स्पैन्डेक्स से बनी होती है, लेकिन किसी भी चमकीले हरे रंग के कपड़े को हरे रंग की स्क्रीन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
वास्तव में, कुछ लोग हरे रंग की स्क्रीन की नकल करने के लिए अपनी दीवारों को चमकीले हरे रंग में रंगते हैं। पर एक और रंग है नीला जिसका उपयोग अक्सर कृत्रिम वस्तुओं में नहीं किया जाता है और हमारे शरीर में भी नीला रंग नहीं पाया जाता।
तो अब सबसे अहम् सवाल यह उठता है की ग्रीन स्क्रीन ही क्यूँ ब्लू स्क्रीन क्यूँ नहीं
तो आपको बता दूँ ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों और नाटकों में 20वीं सदी के मध्य से लेकर मध्य तक "हरी" स्क्रीन के विभिन्न प्रकार के रंगों का उपयोग किया गया था, लेकिन डिजिटल कैमरों के आने के बाद उन्हें लोकप्रियता मिली।
पर डिजिटल कैमरे में नीले सहित अन्य सभी रंगों की तुलना में हरे रंग को ज्यादा कैप्चर करते हैं।
इसका सीधा मतलब यह है की, किसी भी अन्य रंग की तुलना में पोस्ट-प्रोडक्शन में हरे रंग को अलग करना और बदलना आसान है।
पर केवल यही कारण नहीं है हरे रंग को इस्तेमाल करने का दूसरा कारण यह है कि हरे रंग की स्क्रीन ब्राइट होने के कारण इसे कम रोशनी की आवश्यकता होती है, जिसका अर्थ है कि आपको अपने शूटिंग सेट पर कम रोशनी की आवश्यकता होगी।
सीधी भाषा में कहूँ तो कम बजट पर काम करने वाले फोटोग्राफरों और स्टूडियो के लिए ग्रीन स्क्रीन बिल्कुल सही है।
पर ग्रीन स्क्रीन इतनी फायदेमंद है तो सभी लोग इसका इस्तेमाल क्यूँ नहीं करते , अगर आपके मन में भी यही सवाल है तो आपको बता दूँ की ग्रीन स्क्रीन के कुछ नुकसान भी है
नंबर एक
ग्रीन स्क्रीन में चमक बहुत ज्यादा होती है सीधी भाषा में यह की यदि सेट के अन्य हिस्सों पर बहुत अधिक रंग फैल गया है तो, कोई भी व्यक्ति जो शूटिंग कर रहा हैं, उस पर एक हरी बत्ती या हरा रंग दिखाई देगा।
और यदि आप चमकदार या रेफ्लेक्टिव वस्तुओं की शूटिंग कर रहे है तो यह बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि जैसे ही क्रोमा की का यूज़ किया जाता है वह वस्तु भी गायब हो जाती है।
इसी कारण अंधेरे दृश्यों को फिल्माते समय नीली स्क्रीन का उपयोग करना बहुत आसान होता है, जहां ज्यादा रोशनी नहीं होनी चाहिए। साथ ही, वे ग्रीन स्क्रीन की तुलना में एडिटिंग को आसान कर देते हैं।
पर जैसा आपको विडियो में बताया गया था की नीली स्क्रीन का उपयोग करना अधिक महंगा है क्योंकि उन्हें ठीक से काम करने के लिए बहुत अधिक लाइट की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा ग्रीन स्क्रीन को यूज़ करते समय सबसे जरुरी बात यह होती है की ग्रीन स्क्रीन की सतह पूरी तरह एक समान हो।
क्योंकि अगर ग्रीन स्क्रीन की सतह पूरी तरह एक समान नहीं हुई तो जैसी एडिटिंग चाहते है वैसी मिलेगी नहीं और पूरा पैसा बर्बाद हो जायगा
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