पिछले कुछ सालों में भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व भर में नशा करने और उससे पीड़ित लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है।
नशे की गंभीर लत ने कई लोगों को मौत का ग्रास तक बना दिया। इनके गंभीर परिणामों को देखते हुए नशे के नुकसान के प्रति जागरुक करने के लिए कई संस्थाएं भी आगे आई हैं।
वैसे तो नशे के दुष्परिणामों को देखते हुए भारत में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने पर पाबंदी है, इसके बावजूद हमें लोग सार्वजनिक जगहों पर धुम्रपान करते हुए दिख जाते है।
नशा, एक ऐसी बीमारी है जो युवा पीढ़ी को लगातार अपनी चपेट में ले रहा है। पर अगर कोई व्यक्ति अधिक नशा करने लग जाये तो क्या होगा|
शराब, सिगरेट, तम्बाकू एवं ड्रग्स जैसे जहरीले पदार्थों का सेवन कर युवा वर्ग का एक बड़ा हिस्सा नशे का शिकार हो रहा है।
लोग सोचते हैं कि जिनके पास पैसे नहीं है वो कैसे नशा करता होगा तो आपको बता दूँ की नशा करने के लिए सिर्फ मादक पदार्थो की ही जरुरत नहीं होती, बल्कि व्हाइटनर, नेल पॉलिश, पेट्रोल आदि की गंध, ब्रेड के साथ विक्स और झंडु बाम का सेवन करना, कुछ इस प्रकार के नशे भी किए जाते हैं, जो बेहद खतरनाक होते हैं।
चलिए हम सबसे पहले जानते है नशे के विभिन्न प्रकारों को -
इनमे सबसे पहले नंबर पर आता है मादक पदार्थों का सेवन
मादक पदार्थों के सेवन यानि शराब, सिगरेट, ड्रग्स, हेरोइन, गांजा, भांग आदि इसी के अन्दर आते है|
दुसरे नंबर पर आता है अन्य पदार्थो का सेवन -
व्हाइटनर, नेल पॉलिश, पेट्रोल आदि की गंध, ब्रेड के साथ विक्स और झंडु बाम आदि नशे की इस श्रेणी में आते हैं।
अब बात करते है अधिक मात्र में नशा करने से क्या क्या हानी होती है -
वैसे तो स्वास्थ्य की हानि सबसे बड़ी हानि है। क्योंकि इससे शरीर के कई अंगों पर एक साथ विपरीत असर पड़ता है। खास तौर से यह दिमाग को भी अपनी चपेट में ले लेता है।
पर नशा करने वाला व्यक्ति समय के साथ मानसिक तनाव से ग्रसित हो जाता है। जिसके कारण नशा करने वाला व्यक्ति सबसे ज्यादा दुर्घटनाओं का शिकार होता है।
इसके अलावा आर्थिक रूप से वह कमजोर होता जाता है तथा समाज में भी उसे सम्मान नहीं मिलता जिसके कारण वो समाज से कट जाता है|
एक समय एसा आता है जब नशा उसकी पहली जरुरत बन जाती है और एसा होने पर व्यक्ति बस कुछ ही दिन जिन्दा रह पाता है|
वैसे कुछ लोग इसे शौकिया तौर पर लेना शुरू करते है पर धीरे धीरे ये शौक कब लत में बदल जाता है लोगों को पता ही नहीं चलता जिसके कारण नशा करना उनके शरीर और दिमाग की ज़रूरत बन जाता है। ये जानते हुए भी कि यह चीज़ उनके शरीर को भयंकर नुकसान पहुंचा रही है नशा करने वाले इसकी आदत छोड़ नहीं पाते।
आज के समय में बहुत से लोग एक नशे के पदार्थ यानि गांजे को लीगल करने की बात कर रहे है ओर भारत समेत कई देशों में गांजे पर प्रतिबंध लगाया गया है पर कुछ देशों में ये पूरी तरह से लीगल है|
पर जिस गांजे पर इतनी बहस हो रही है आखिर ये गांजा होता क्या है-
गांजा को अंग्रेजी में कैनेबिस कहा जाता है|
आपको बता दूँ की, कैनेबिस के फूलों से ही गांजा बनाया जाता है|
आमतौर पर गांजे को सिगरेट की तरह स्मोक किया जाता है
भारत में गांजे को NDPS के अंतर्गत लाने की सबसे बड़ी वजह थी कि ये एक मनोसक्रिय ड्रग्स है यानि गांजा स्मोक करने के बाद रियल और कल्पना में फर्क करना मुश्किल है|
पर एसा क्यूँ
दरअसल, कैनेबिस के पौधे में करीब 150 तरह के कैनेबिनॉइड्स पाए जाते हैं| कैनेबिनॉइड्स को अगर सीधी भाषा में समझाया जाये तो यह एक केमिकल हैं| कैनेबिस के पौधे में पाए जाने वाले 150 केमिकल्स में दो केमिकल्स ऐसे भी होते हैं जो दिमाग पर सबसे ज्यादा असर डालते हैं|
इन केमिकल्स के नाम हैं THC और CBD
जैसे ही गांजा स्मोक किया जाता है तो जहां एक तरफ THC नशा बढ़ाता है तो वहीं दूसरी ओर CBD, THC के प्रभाव को कम करता है|
आपको जानकर हैरानी होगी कि CBD लोगों की घबराहट को कम करने में काफी मदद करता है|
लेकिन, ये इंसान को उस वक्त हिलाकर रख देती है जब गांजे में THC की मात्रा CBD की मात्रा से ज्यादा हो|
आपको बता दूँ की हमारा दिमाग अपना सारा काम न्यूरॉन्स की मदद से करता है यानि अगर THC की मात्रा अधिक होती है तो गांजा पीने के बाद न्यूरॉन्स ही कंट्रोल से बाहर हो जाते है|
जिससे एक भ्रम की स्थिति पैदा होती है और ये भ्रम इतना खतरनाक होता है की अगर किसी व्यक्ति को लगे की उसे भूख लग रही है तो पेट भरा होने के बावजूद वो खाना खाता रहेगा जब तक नशे का असर कम ना हो जाये|
अभी तक हमने नशे के बारे में सुना और यह भी जाना की अधिक नशा करने पर क्या होता है पर इन सबसे महतवपूर्ण यह है की अगर कोई व्यक्ति नशे की गिरफ्त में आ जाये तो उसका इलाज किस तरह किया जा सकता है|
तो आइये जानते है नशे की गिरफ्त में आ चुके लोगों का इलाज कैसे किया जाता है - नशे की आदी हो चुके लोगों का इलाज दो तरह से किया जाता है।
जिसमे पहले तरीके में लोग अपने नॉर्मल रुटीन को चालू रखते हुए समय समय पर इलाज कराते रहते हैं। पर दूसरे तरीके में मरीज़ को अस्पताल या रिहेबिलीटेशन सेंटर में रखना पड़ता है। जहां दवाईयों के साथ साथ अन्य तरीकों से मरीज़ का इलाज किया जाता है।
पर केवल दवाइयों से इलाज नहीं होता नशे की लत में पड़े हुए लोगों को मानसिक रूप से भी नशा छोड़ने के लिए तैयार किया जाता है इसलिए उसे –
पुराने मरीज़ों से मुलाकात , एक्सपर्ट के साथ अकेले में बातचीत , ग्रुप डिस्कशन, योगा, बीच पर जाना, ध्यान और एक्ससाइज़ की क्लासेस भी दी जाती है
पर वह व्यक्ति वापिस नशे की लत का शिकार नहीं हो जाये इसलिए उसे परिवार के साथ पसंद के काम करने की सलाह भी दी जाती है|
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