भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर को तो हर कोई जानता होगा। वो न केवल देश की बल्कि पूरे विश्व में अपनी मीठी आवाज के लिए प्रसिद्ध थीं। लेकिन वो कहते हैं ना की हर सफल इंसान के पीछे उसके बरसों की कड़ी मेहनत होती है, वही मेहनत लता जी ने भी कि। लता मंगेशकर बचपन से ही संगीत की गोद में पली बड़ी, क्योंकि उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर रंगमंच कलाकार और संगीतकार थे और अपने पिता को देखकर ही लता मंगेशकर भी संगीत से अपना नाता जोड़ पाई थीं। जब तक लता मंगेशकर के पिता थे, तब तक उनके परिवार एक खुशलहाल परिवार था लेकिन फिर एक दम से लता जी के जीवन में गम के बादल छा गए।लता मंगेशकर जब 13 सा की थीं, तब उनके सिर से पिता का साया उठ गया था। पिता के बाद वह घर में सबसे बड़ी थीं और इसी वजह से सारी जिम्मेदारी लता मंगेशकर के छोटे कंधों पर आ गई। अपने पिता के निधन के बाद, लता मंगेशकर ने घर की देखभाल करने के लिए बाहर कदम रखा। इस वजह से उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। इसी बीच उन्होंने कमाना शुरू किया और धीरे -धीरे अपने भाई बहनों की परवरिश की। सच में लता जी जैसी बहन होना किसी वरदान से कम नहीं। अपने जिम्मेदारियों के आगे उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। अपनी जिम्मेदारियों में वो कुछ इस तरह उलझी कि वो ताउम्र शादी नहीं कर पाईं।
ये बात तो हर कोई जानता है कि लता जी को मां सरस्वती की उपाधि दी गई थी। कहा जाता था की उनके सुर में खुद मां सरस्वती का वास था, तो ऐसे में ये सवाल लाजमी है कि आखिर लता जी ने कभी शादी क्यों नहीं की। अपनी शादी से जुड़े ऐसे ही सवाल जब लता जी से पूछे गए तब उन्होंने कहा कि उन्होंने शादी के बारे में कई बार सोचा था लेकिन अमल नहीं कर पाईं।भाई-बहनों और घर की जिम्मेदारियों को देखते-देखते ही वक्त चला गया और वे ताउम्र शादी नहीं कर पाईं। लेकिन लता जी की शादी को लेकर एक और किस्सा है जो दुनिया में कम ही लोग जानते हैं। ये किस्सा बहुत दिलचस्प है। बात तब कि है जब लता जी को एक शख्स से प्यार हुआ, वो प्यार दिन पर दिन इतना गहरा हुआ कि शादी तक की बात बॉलीवुड की गलियारों में फेल गई। फिर मोड़ आया जुदाई का, वो कहते हैं ना की सच्चे प्यार हमेशा अधूरा रह जाता है।
कहा तो ये भी जाता है कि दुनियाभर में नाम कमाने के बाद भी लता मंगेशकर का एक सपना था जो अधूरा ही रह गया। वह हमेशा से ही 'प्रिंसेज ऑफ डूंगरपुर' का टाइटल अपने नाम के साथ देखना चाहती थीं। अब आप सोचेंगे की लता जी की शादी का तालुक डूंगरपुर से कैसे? दरअसल डूंगरपुर राजस्थान में एक रियासत थी। वहीं भारत के प्रसिद्ध क्रिकेटर और भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर रहे राज सिंह डूंगरपुर और लता मंगेशकर के बीच बड़ी गहरी दोस्ती थी।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज सिंह से लता की पहली मुलाकात उनके घर पर हुई थी। 1959 में राज सिंह लॉ की पढ़ाई के लिए मुंबई आए। वह 1955 से ही राजस्थान की रणजी टीम से जुड़े हुए थे। मुंबई आने के बाद वहां के स्टेडियम में राज की मुलाकात लता के भाई हृदयनाथ मंगेशकर से मुलाकात हुई। हृदयनाथ अक्सर राज को अऔर ऐसे राज पने साथ घर लाने लगे, और लता की पहली मुलाकात हुई। कहा जाता है कि पहली मुलाकात में उनका झुकाव लता मंगेशकर की ओर हो गया था। बीकानेर की डूंगराजकुमारी राज्यश्री, जो रपुर की बहन की बेटी हैं, अपनी आत्मकथा 'पैलेस ऑफ क्लाउड्स- ए मेमॉयर' में उन्होंने लता मंगेशकर और राज सिंह के बारे में कई अनकही बातें लिखी हैं। जानकारों की माने तो दोनों की शादी इस वजह से नहीं हो सकी क्योंकि राजपरिवार इस बात के लिये राजी नहीं था कि कोई साधारण परिवार की लड़की डूंगरपुर रियासत की बहू बने। लता जी एक मध्यमवर्गीय मराठा परिवार से ताल्लुक रखती हैं। तो वहीं राज सिंह का परिवार लता को अपनी बहू बनाने के लिए कभी राजी नहीं हुआ। हलांकि राज सिंह ने अपने परिवार की बात तो मान ली लेकिन उन्होंने कभी दूसरी शादी नहीं की। कहते हैं कि राज सिंह प्यार से लता मंगेशकर को मीठू कहकर बुलाते थे।
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