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भारत में कई ऐसी अद्भुत चीज़े हैं जिन्हे देखने के बाद हर कोई हैरान रह जाता है। और हो भी क्यों न हमारे भारत देश के हर राज्य में कोई न कोई खास बात जरूर है। जैसे की दिल्ली में क़ुतुब मीनार, तमिल नाडु में रामेश्वरम, मुंबई में ताज होटल और उत्तराखंड का डैम। जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होगी।
वैसे तो उत्तराखंड अपनी खूबसूरती और पहाड़ी इलाकों की वजह से जाना जाता है, वहीं उत्तराखंड की एक और पहचान है जिसे जानने के बाद आपके होश उड़ जायेंगे। दरअसल हम बात कर रहें हैं टिहरी डैम की। जो भारत के खूबसूरत राज्यों में से एक उत्तराखंड में सिथित है।
टिहरी डैम उत्तराखंड के भागीरथी नदी पर बना हुआ है। और आपको बता दे की ये डैम भारत का सबसे बड़ा डैम तो है ही बल्कि दुनिया का भी आठवां सबसे ऊंचा डैम है। टिहरी डैम परियोजना दुनिया की सबसे बड़ी महत्वपूर्ण हाइड्रो पावर परियोजनाओं में से एक है । इसकी ऊंचाई की बात करें तो ये लगभग 261 मीटर ऊंचा है और इसकी लंबाई 575 मीटर तक है । टिहरी डैम परियोजना भागीरथी और भिलंगना नदी से जल प्राप्त करता है और सिंचाई व अन्य कार्यों की आपूर्ति के अलावा यह डैम 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन करता है। टिहरी डैम का पहला चरण साल 2006 में शुरू हुआ था और इसके बाकी के दो चरणों पर काम अभी भी प्रगति में है।
इसी तरह टिहरी बांध न केवल जल विद्युत आपूर्ति के लिए बल्कि पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहां हर साल हजारों लोग पर्यटन क्षेत्र के रूप में घूमने आते हैं। पेड़-पौधों से ढकी हरी-भरी पहाड़ियों के बीच नीली टिहरी झील का पानी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
आइए सबसे पहले टिहरी बांध के इतिहास के बारे में जान लेते हैं जो की बहुत ही मनोरंजक है। इस बांध के निर्माण के लिए 1961 की परियोजना के लिए प्रारंभिक जांच हुई जिसके बाद 1972 में इसके प्रारूप को तैयार किया गया । लेकिन इस डैम का निर्माण करने में कई उतार-चढ़ाव आए ।
इसका मसौदा 1972 में तैयार किया गया था लेकिन इसके निर्माण में वित्तीय और सामाजिक प्रभावों के कारण देरी हुई और इसका निर्माण 1978 में शुरू हुआ। लेकिन यूएसएसआर ने 1986 में तकनीकी और आर्थिक सहायता प्रदान करके मदद मांगी लेकिन राजनीतिक गतिविधियों ने इस मदद को समाप्त कर दिया।इसके बाद 1990 में एक बार फिर बांध बनाने का विचार आया और 2006 में टिहरी बांध का निर्माण कार्य पूरा हुआ। आपको बता दें कि 2012 में इस परियोजना के दूसरे हिस्से को कोटेश्वर बांध में मिला दिया गया था। टिहरी बांध से फिलहाल एक हजार मेगावाट और कोटेश्वर बांध से 400 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है।
लेकिन टिहरी डैम को लेकर एक चौंका देने वाली बात ये है की टिहरी डैम की वजह से करीब 125 गांव प्रभावित हुए। और आप जानकर हैरान होंगे की इनमें 37 गांव पूरे तरीके से झील में डूबे गए।जबकि 88 गांव आंशिक प्रभावित हुए। वहीं टिहरी डैम और उसके आसपास के इलाकों से हजारों लोग विस्थापित हुए और देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश में बस गए।भागीरथी नदी के ऊपर बने इस डैम की ऊंचाई 260.5 है। वहीं इसका जलाशय 42 वर्ग किमी लंबा है।
टिहरी डैम 270000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए पानी प्रदान करता है, इस परियोजना द्वारा उत्पादित बिजली उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब दिल्ली, हरियाणा, जम्मू कश्मीर राजस्थान, हिमाचल, चंडीगढ़ जैसे राज्यों में बिजली की आपूर्ति को पूरा करती है। वैसे इस डैम का निर्माण जितना महत्वपूर्ण था उतना ही खतरनाक था। जब इस डैम के निर्माण की बात उठी थी तभी कई लोगों ने इसका विरोध भी किया। क्योंकि लोगों का मानना था टिहरी डैम यहां के सुंदर वातावरण को नुकसान पहुंचा सकता है।इतना ही नहीं बल्कि कुछ वैज्ञानिको ने भी इसे विनाश का कारण बताया।
यहां तक की वैज्ञानिकों ने ये तक कह दिया था की अगर इस बांध का निर्माण होता है तो यह निर्माण लगभग दस हजार लोगों को बेघर कर सकता है। टिहरी बांध के निर्माण में सबसे बड़ी समस्या का कारण हिमालय भूकंपीय गैप से इसकी निकटता थी। कुछ एक्सपर्ट का मनना था की अगर भूकंप आया तो लगभग 50000 लोगों की जिंदगी पर बात बन सकती है। इन सभी दिक्कतों को देखते हुए 1990 में टिहरी डैम के विरोधी संघर्ष समिति ने इस बांध के निर्माण कार्य को बंद करने के लिए एक ऑफिशियल याचिका दायर की और सीधे इसे सुप्रीम कोर्ट की ओर भेज दिया।
और आपको जानकर हैरानी होगी की यह मामला कोर्ट में लगभग 10 सालों तक चलता रहा। इस डैम के निर्माण को लेकर काफी विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके परिणाम स्वरूप सरकार ने भी इन लोगों पर बल प्रदर्शन और कार्यवाही की थी। लेकिन बाद में टिहरी का निर्माण कार्य शुरू हुआ और एक सुंदर आकर्षक डैम बनकर तैयार हो गया।
टिहरी डैम की सुंदरता के साथ बस एक दिक्कत ये थी कि यहां बरसात के मौसम में डैम के जल का स्तर एकदम से बढ़ जाता है और कभी-कभी या खतरे का कारण भी बन सकता है । प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ यहां सरकार द्वारा पर्यटकों के लिए कई प्रकार की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है। जिसके चलते लोग दूर दूर से अपने परिवार के साथ यहां घूमने आते हैं। और यहां के हरे भरे वातावरण के साथ ठंडी हवा का लुत्फ उठाते हैं।
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